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भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (भा.प.अ.कें.)
पुनस्संसाधन और परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन
पुनस्संसाधन और परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन

एक निश्चित ऊर्जा उपयोग, जिसे बर्न-अप (तापीय ऊर्जा की धरोहर) के रूप में जाना जाता है, तक पहुंचने के बाद, रिएक्टर में परमाणु ईंधन को ताजा ईंधन से बदल दिया जाता है ताकि विखंड्य श्रृंखला अभिक्रियाएं होती रहें और वांछित विद्युत उत्पादन प्राप्त किया जा सके। रिएक्टर से निकलने वाले भुक्तशेष ईंधन को स्पेंट न्यूक्लियर फ्यूल (SNF) के रूप में जाना जाता है। अधिकांश देश स्पेंट न्यूक्लियर फ्यूल (SNF) को अपशिष्ट मानते हैं, जिसके लिए उपयुक्त निपटान की आवश्यकता होती है। ऐसे एक बार उपयोग किए जाने वाले कार्यक्रम को संवृत (closed) ईंधन चक्र कहा जाता है। वास्तव में, मूल ईंधन सामग्री का 95-99% से अधिक स्पेंट न्यूक्लियर फ्यूल (SNF) में रहता है और भुक्तशेष ईंधन से पुनःप्राप्त Pu और U (विशेष नाभिकीय पदार्थ- SNM) अगली पीढ़ी के रिएक्टरों में मिश्रित ऑक्साइड (MOX) ईंधन के रूप में उपयोग किये जाते हैं। एक संवृत (closed) ईंधन चक्र, जैसा कि भारत में अपनाया गया है, में भुक्तशेष ईंधन को U और Pu जैसे उपयोगी पदार्थों के निष्कर्षण के लिए पुनःचक्रित किया जाता है, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है। किसी भी संवृत (closed) ईंधन चक्र कार्यक्रम का एक प्रमुख घटक पुनस्संसाधन है, और यह भारतीय त्रिचरण परमाणु ईंधन कार्यक्रम में भी एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रचुर थोरियम भंडार के दीर्घकालिक उपयोग की परिकल्पना करता है। वास्तव में, संवृत (closed) चक्र न केवल संसाधनों के इष्टतम उपयोग में मदद करता है बल्कि मूल्यवान रेडियोन्यूक्लाइड की पुनःप्राप्ति में भी सहायक है, जिससे विवृत (open) चक्र की तुलना में अपशिष्ट मात्रा बहुत कम हो जाती है।

स्पेंट न्यूक्लियर फ्यूल (SNF) का पुनस्संसाधन

बीएआरसी ने पहली बार वर्ष 1964 में ट्रॉम्बे में प्रयुक्त ईंधन का पुनस्संसाधन शुरू करने के बाद से एक लंबा सफर तय किया है। भारत के पास यूरेनियम आधारित प्रथम चरण रिएक्टर के भुक्तशेष ईंधन के पुनस्संसाधन के लिए पांच दशकों से अधिक का अनुभव है जिसके परिणामस्वरूप विशेष नाभिकीय पदार्थ (SNM) की पुनःप्राप्ति सहित भली भांती परिपक्व और अत्यधिक विकसित PUREX आधारित पुनस्संसाधन प्रक्रम चित्र (flow sheet) का विकास हुआ है। बहु-विषयक अनुसंधान एवं विकास का उद्देश्य बेहतर पृथक्करण कारक के साथ वांछित गुणवत्ता की उत्पाद धारा प्राप्त करना है, जिसका लक्ष्य विखंडन उत्पाद के लिए बेहतर विसंदूषण गुणक और अपशिष्ट मात्रा को कम करना है। स्पेंट न्यूक्लियर फ्यूल (SNF) के पुनस्संसाधन के क्षेत्र में संरचित और संकेंद्रित अनुसंधान एवं विकास के परिणामस्वरूप, भारत के तारापुर और कलपक्कम स्थलों पर पुनस्संसाधन संयंत्रों में दबावयुक्त भारी पानी रिएक्टरों (PHWRs) से उत्पन्न स्पेंट न्यूक्लियर फ्यूल (SNF) को पुनस्संसाधन करने का सफल संचालन चल रहा है, जिससे अगली पीढ़ी के रिएक्टर (PFBR) लिए नाभिकीय पदार्थ (SNM) की पुनःप्राप्ति संभव हो सके। फिर भी, कर्मियों के जोखिम को कम करने, पुनस्संसाधन क्षमता में सुधार करने और अपशिष्ट के प्रभावी प्रबंधन हेतु विभिन्न रेडियोन्यूक्लाइड को अलग करने के लिए अग्र छोर प्रणाली (head end) के साथ-साथ पृथक्करण प्रणालियों से संबंधित प्रौद्योगिकी में और सुधार की गुंजाइश मौजूद है। परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के तेजी से विस्तार को देखते हुए, विद्युत की प्रक्षिप्त मांग को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष 600 टन भारी धातु की संयंत्र डिजाइन क्षमता के साथ एकीकृत परमाणु पुन:चक्रण संयंत्र (INRP) जैसे बड़े संवेश प्रवाह पुनस्संसाधन संयंत्रों की "सॉलिड इन और सॉलिड आउट" की अवधारणा को साकार करने की सख्त जरूरत है। क्षमता को कई गुना बढ़ाने के लिए पृथक्करण उपकरणों के विकास और स्तर को बढ़ाने की आवश्यकता है।

थोरियम ईंधन चक्र के क्रियान्वयन के लिए किरणित थोरियम ईंधन से 233U का निष्कर्षण और ईंधन चक्र में इसका पुन: निवेशन आवश्यक है। स्वदेशी प्रयासों के आधार पर, भुक्तशेष थोरिया छड़ों के पुनस्संसाधन के लिए एक प्रक्रम शीट विकसित की गई और यूरेनियम थोरियम पृथक्करण सुविधा (UTSF), ट्रॉम्बे में प्रदर्शित की गई। यूरेनियम थोरियम पृथक्करण सुविधा (UTSF), में सफल अनुभव प्राप्त करने के बाद, विद्युत रिएक्टर थोरिया पुनस्संसाधन संयंत्र (PRTRF) की स्थापना की गई है, जिसमें थोरिया बंडल के विघटन के लिए उन्नत लेजर आधारित तकनीक और ईंधन पिन काटने के लिए सिंगल पिन मैकेनिकल चॉपर का उपयोग किया गया है। 233U की पुनःप्राप्ति के लिए दाबित भारी पानी रिएक्टर (PHWR) से प्राप्त थोरिया किरणित ईंधन बंडलों को निष्कर्षक के रूप में ट्राई-ब्यूटाइल फास्फेट (TBP) का उपयोग करके पुन: संसाधित किया गया था।

परमाणु अपशिष्ट का प्रबंधन:

परमाणु रिएक्टर संचालन या रेडियोधर्मी सामग्री का उपयोग करने वाली किसी भी अन्य औद्योगिक गतिविधि से उत्पन्न अपशिष्ट यद्यपि मात्रा में छोटे होते हैं, फिर भी उनके उपयुक्त प्रबंधन की आवश्यकता होती है। पुनस्संसाधन प्रचालन के दौरान, विभिन्न द्वितीयक धाराएँ उत्पन्न होती हैं, उनमें से कुछ उत्पाद के रूप में और कई धाराएँ अपशिष्ट के रूप में होती हैं। पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य और भावी पीढ़ी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत से ही परमाणु अपशिष्ट के सुरक्षित प्रबंधन को उच्च प्राथमिकता दी गई है। प्रचलित सिद्धांत परिक्षेपण मामलों को न्यून करने के लिए एक निष्क्रिय आव्यूह (matrix) में उपयुक्त अनुकूलन के बाद परमाणु अपशिष्ट को अलग करने पर आधारित है। हाल ही में, इस बात का अभिमूल्यन हुआ है कि परमाणु अपशिष्ट विभिन्न रेडियोन्यूक्लाइड्स के निष्कर्षण के लिए एक अहम संसाधन हो सकता है जो महत्वपूर्ण सामाजिक अनुप्रयोगों में उपयोगी हो सकते हैं। इससे परमाणु अपशिष्ट की महत्ता उजागर हुई, 137 सीज़ियम, 90 स्ट्रोनियम, 106 रूथेनियम जैसे महत्वपूर्ण रेडियोन्यूक्लाइड की पुनःप्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए चयनात्मक निष्कर्षण, उन्नत पृथक्करण तकनीकों, सुदूर प्रहस्तन (remote handling) उपकरणों के विकास से एक दृष्टिकोण की पुष्टि होती है।

परमाणु अपशिष्ट, परमाणु ईंधन चक्र सुविधाओं के संचालन और रखरखाव गतिविधियों के दौरान गैसीय, तरल और ठोस के रूप में उत्पन्न होता है। गैसीय अपशिष्ट को अवशोषण-रासायनिक मार्जन, सक्रिय चारकोल अधिशोषण और उच्च दक्षता कणिकीय वायु निस्यंदक (HEPA filter) जैसी तकनीकों का उपयोग करके उत्पादन स्रोत के रूप में उपचारित किया जाता है। तरल अपशिष्ट धाराओं का उपचार विभिन्न तकनीकों जैसे निस्यंदन, अधिशोषण, रासायनिक उपचार, वाष्पीकरण, आयन विनिमय, प्रतिलोम परासरण आदि द्वारा प्रकृति, आयतन और रेडियोसक्रियता अवयवों के आधार पर किया जाता है। आगे का शोध पर्यावरण में रेडियोसक्रियता के 'लगभग शून्य निर्वहन' के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने पर केंद्रित है। उत्पन्न रेडियोसक्रिय ठोस अपशिष्ट को अलग किया जाता है और रेडियोन्यूक्लाइड के अहानिकर स्तर तक क्षय होने तक रेडियोसक्रियता की प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से निर्मित इंजीनियर निपटान संरचनाओं जैसे पत्थर से बने खाइयों, प्रबलित कंक्रीट खाइयों और टाइल छेदों में निपटान से पहले इसकी मात्रा कम कर दी जाती है। आजकल उच्च दबाव संघनन, प्लाज्मा आधारित भस्मीकरण प्रणाली आदि नई तकनीकों का उपयोग करके अपशिष्ट मात्रा को कम करने पर ध्यान दिया जा रहा है। प्रभावी रोकथाम और समष्टि उपयोग के साथ निपटान मॉड्यूल के विकास की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं।

भुक्तशेष ईंधन के पुनस्संसाधन के दौरान उत्पन्न उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट (HLLW) में पूरे परमाणु ईंधन चक्र में उत्पन्न होने वाली अधिकांश रेडियोसक्रियता शामिल होती है। उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट (HLLW) को एक प्रक्रिया के माध्यम से एक निष्क्रिय सोडियम बोरो-सिलिकेट ग्लास मैट्रिक्स में स्थिर किया जाता है, जिसे काचन (vitrification) कहा जाता है। रेडियोसक्रियता के क्षय के दौरान उत्पन्न उष्मा के अपव्यय को सुगम बनाने के लिए काचित अपशिष्ट को भूवैज्ञानिक निपटान सुविधा में इसके अंतिम निपटान से पहले एक वायुशीतित वॉल्ट में अंतरिम अवधि के लिए संग्रहीत किया जाता है। उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट (HLLW) का काचन (vitrification) एक जटिल प्रक्रिया है और उच्च मात्रा में रेडियोसक्रियता की उपस्थिति में उच्च तापमान प्रचालन बड़ी चुनौती है। परिणामस्वरूप दुनिया में बहुत कम देश उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट (HLLW) के काचन (vitrification) की तकनीक में महारत हासिल कर सके और भारत उनमें से एक है। उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट (HLLW) के काचन (vitrification) के लिए तीन गलनित्र प्रौद्योगिकियां, प्रेरण तप्त धात्विक गलनित्र (IHMM), जूल तप्त सिरेमिक गलनित्र (JHCM) और शीत क्रूसिबल प्रेरण गलनित्र (CCIM) स्वदेशी रूप से विकसित की गई हैं। IHMM या JHCM प्रौद्योगिकियों पर आधारित उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट (HLLW) काचन (vitrification) संयंत्रों का निर्माण और संचालन भारत के ट्रॉम्बे, तारापुर और कलपक्कम स्थलों पर सफलतापूर्वक किया गया है।.

विट्रीफिकेशन सेल (IHMM) डब्ल्यूआईपी ट्रॉम्बे, जूल तप्त सिरेमिक गलनित्र तारापुर, कोल्ड क्रूसिबल इंडक्शन मेल्टर के अंदर का दृश्य, काचित उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट (HLLW) से माइनर एक्टिनाइड्स के विभाजन के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास, आदि का उद्देश्य दीर्घकालिक रेडियोधर्मी अपशिष्ट घटकों को ग्लास मैट्रिस में स्थिरीकरण से पहले अलग करना है। दीर्घकालिक रेडियो-संदूषकों को अल्पजीवी प्रजातियों में परिवर्तित करने के लिए द्रुत रिएक्टरों या त्वरक संचालित उपक्रांतिक प्रणाली में जलाने की योजना बनाई गई है। इससे पर्यावरण से रेडियोन्यूक्लाइड के दीर्घकालिक विलगन (isolation) की आवश्यकता कई गुना कम हो जाएगी। अनुसंधान एवं विकास को हल्स के प्रबंधन, ईंधन के विघटन के बाद जिरकोनियम क्लैड ट्यूब के दूषित बचे हुए टुकड़ों, और उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट (HLLW) के सुरक्षित निपटान और मानव पर्यावरण से रेडियोन्यूक्लाइड को दीर्घकालिक रूप से अलग करने के उद्देश्य से दीर्घकालिक अपशिष्ट के लिए भूवैज्ञानिक निपटान सुविधा की ओर भी निर्देशित किया जाता है।

परमाणु अपशिष्ट से बहुमूल्य पुनःप्राप्ति:

नई प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, भारत ने विभिन्न चिकित्सा और औद्योगिक अनुप्रयोगों वाले उच्च स्तरीय तरल अपशिष्ट (HLLW) में मौजूद उपयोगी रेडियोसमस्थानिक को अलग करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। 137Cs, 90Sr, 106Ru जैसे रेडियोसमस्थानिक के कई औद्योगिक और चिकित्सा अनुप्रयोग हैं। इन समस्थानिकों से जुड़ी ऊर्जा का उपयोग रक्त किरणन, खाद्य संरक्षण और चिकित्सीय अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है। रेडियोसक्रिय अपशिष्ट से उपयोगी समस्थानिक का पृथक्करण एवं पुनःप्राप्ति और सामाजिक अनुप्रयोग के लिए उनका नियोजन अपशिष्ट को संसाधन की सामग्री के रूप में बनाती है। चयनात्मक निष्कर्षण के घरेलू विकास और उनके नियोजन के परिणामस्वरूप अपशिष्ट से 137Cs और 90Sr की बड़ी मात्रा प्राप्त हुई है। 137Cs विलयन को पुनः प्राप्त किया जाता है और अपरिक्षेपित सीज़ियम ग्लास पेंसिल में परिवर्तित किया जाता है और रक्त किरणक में उपयोग के लिए विभिन्न अस्पतालों में आपूर्ति की जाती है।

सीज़ियम की पुनःप्राप्ति और सीज़ियम ग्लास पेंसिल बनाने की प्रणाली, डब्ल्यूआईपी, ट्रॉम्बे

90Sr (Strontium), अपशिष्ट में मौजूद एक अन्य आइसोटोप, बीटा क्षय द्वारा 90Y (Yttrium) में क्षय हो जाता है, जिसका चिकित्सीय उपयोग कैंसर के उपचार के दौरान विकिरण भेषजिक (radiopharmaceutical) उत्पाद के रूप में किया जाता है। अन्तर्गृह से पुनः प्राप्त 90Y (Yttrium) का उपयोग आयात विकल्प के रूप में , आम लोगों को कम लागत पर प्रभावी ढंग से सेवा प्रदान करने में किया जाता है। HLW से स्ट्रोंटियम को चयनात्मक रूप से अलग करने और येट्रियम जनरेटर में परिवर्तित करने के लिए अन्तर्गृह विकसित बहु चरण पृथक्करण तकनीकों को नियोजित किया गया है। विकिरण भेषजिक (radiopharmaceutical) अनुप्रयोगों के लिए आरएमसी, परेल को 90 येट्रियम की आपूर्ति की जाती है।

106रूथेनियम भी HLLW में उपलब्ध है और आंखों के कैंसर के इलाज के लिए इसका संभावित अनुप्रयोग है। स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के आधार पर, अपशिष्ट से 106 रूथेनियम (शुद्ध रूप में) की पुनःप्राप्ति और उसके बाद Ru-106 नेत्र पट्टिका (eye plaque) बनाने के लिए चांदी की पट्टिका पर 106रूथेनियम के इलेक्ट्रोडेपोजिशन का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया है। नेत्र कैंसर के कम लागत पर प्रभावी उपचार के लिए आयात विकल्प के रूप में स्वदेशी रूप से विकसित Ru-106 नेत्र पट्टिका (eye plaque) की आपूर्ति विभिन्न अस्पतालों में की जा रही है।

इस प्रकार, स्वदेशी रूप से निर्मित अभिनव विलायकों के प्रादुर्भाव और चयनात्मक पृथक्करण प्रक्रियाओं को शामिल करने के साथ, भारतीय परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम ने विखंडन उत्पादों के पृथक्करण और पुनःप्राप्ति के साथ और उन्हें सामाजिक लाभ के लिए नियोजित करने की दिशा में एक नया सिद्धांत अपनाया है, ताकि रेडियोसक्रिय अपशिष्ट से संभावित मूल्यवान वस्तुएं निकाली जा सकें।

पुनः प्रसंस्करण और परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन के लिए स्पॉटलाइट
PReFre-II के लिए कंप्यूटर आधारित नियंत्रण और उपकरण प्रणाली

PReFre-II के लिए कंप्यूटर आधारित नियंत्रण और उपकरण प्रणाली

विट्रिफिकेशन सेल (आई. एच. एम. एम.), डब्ल्यू. आई. पी., ट्रॉम्बे

विट्रिफिकेशन सेल (आई. एच. एम. एम.), डब्ल्यू. आई. पी., ट्रॉम्बे

जूल हीटेड सिरेमिक मेल्टर, तारापुर

जूल हीटेड सिरेमिक मेल्टर, तारापुर

कोल्ड क्रूसिबल इंडक्शन मेल्टर का अंदर का दृश्य

कोल्ड क्रूसिबल इंडक्शन मेल्टर का अंदर का दृश्य

सीज़ियम रिकवरी और सीज़ियम ग्लास पेंसिल बनाने की प्रणाली, डब्ल्यू. आई. पी., ट्रॉम्बे

सीज़ियम रिकवरी और सीज़ियम ग्लास पेंसिल बनाने की प्रणाली, डब्ल्यू. आई. पी., ट्रॉम्बे

सीज़ियम रिकवरी और सीज़ियम ग्लास पेंसिल बनाने की प्रणाली, डब्ल्यू. आई. पी., ट्रॉम्बे

सीज़ियम रिकवरी और सीज़ियम ग्लास पेंसिल बनाने की प्रणाली, डब्ल्यू. आई. पी., ट्रॉम्बे

सीज़ियम रिकवरी और सीज़ियम ग्लास पेंसिल बनाने की प्रणाली, डब्ल्यू. आई. पी., ट्रॉम्बे

सीज़ियम रिकवरी और सीज़ियम ग्लास पेंसिल बनाने की प्रणाली, डब्ल्यू. आई. पी., ट्रॉम्बे

90 यट्रियम की आपूर्ति आर. एम. सी., परेल को रेडियोफार्मास्युटिकल अनुप्रयोगों के लिए की जाती है

90 यट्रियम की आपूर्ति आर. एम. सी., परेल को रेडियोफार्मास्युटिकल अनुप्रयोगों के लिए की जाती है

रूथेनियम-106 नेत्र पट्टिका (गोलाकार विन्यास)

रूथेनियम-106 नेत्र पट्टिका (गोलाकार विन्यास)

नेत्र कैंसर के इलाज के लिए आर. यू.-106 पट्टिका डालना

नेत्र कैंसर के इलाज के लिए आर. यू.-106 पट्टिका डालना

रूथेनियम-106 नेत्र पट्टिका (नॉच कॉन्फ़िगरेशन)

रूथेनियम-106 नेत्र पट्टिका (नॉच कॉन्फ़िगरेशन)