मुख्य अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र निम्न हैं
- तिलहन और दालों सहित नई विशिष्ट फसल किस्मों का विकास। विकिरण-प्रेरित उत्परिवर्तन, संकरण और ऊतक संवर्धन तकनीकों का उपयोग करके 49 फसल किस्मों को व्यावसायिक खेती के लिए विकसित, जारी और राजपत्र-अधिसूचित किया गया है।
- बेहतर पोषक तत्व उपयोग दक्षता के साथ आणविक चिह्नक, पारजीनी, जैव सम्वेदक, उर्वरक सूत्रीकरण का विकास।
- कीटों और रोगजनकों के जैविक नियंत्रण के लिए तकनीकों का विकास। कृषि और बूचड़खाने के अपशिष्ट प्रबंधन और पुनःचक्रण के लिए निसर्गरूना बायोगैस प्रौद्योगिकी का विकास।
- खाद्य घटकों पर गामा विकिरण के प्रभाव की क्रियाविधि की बेहतर समझ के लिए प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक खाद्य उत्पादों के संरक्षण कीटाणुशोधन या स्वच्छता से संबंधित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियाँ।
- खाद्य अनुप्रयोगों के लिए क्रियाशील खाद्य पदार्थ, नवीन खाद्य पैकेजिंग सामग्री और बायोपॉलिमर का विकास।
- खाद्य उत्पादों में रोगज़नक़ों का तेजी से पता लगाने की विधि का विकास।
- निर्यात के साथ-साथ भण्डारण अवधि बढ़ाने के लिए फलों और सब्जियों के उपचार के लिए प्रौद्योगिकियों/प्रक्रियाओं का विकास।
- डीएनए क्षति की मरम्मत, प्रतिकृति, रेडॉक्स जीव विज्ञान और स्व-भोजी प्रक्रिया को समझना और कैंसर चिकित्सा के लिए रेडियो-संवेदीकारक, कीमो-संवेदीकारक का विकास।
- परमाणु विज्ञान और सामाजिक लाभ (उन्नत प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य) से संबंधित ऑर्गेनो-फ्लोरोफोर्स और कार्बनिक इलेक्ट्रॉनिक अणुओं का अभिकल्पन (design) और संश्लेषण।
- कैंसर और अन्य बीमारियों के निदान और उपचार के लिए लागत प्रभावी उच्च मूल्य परमाणु चिकित्सा लिगेंड्स का संश्लेषण और विकास।
- जैविक रूप से सक्रिय यौगिकों के संश्लेषण के लिए असममित समग्र संश्लेषण और ऑर्गेनोकैटलिटिक विधियाँ (हरित रसायन विज्ञान उपागम)।
- स्तनधारी कोशिकाओं, कैंसर कोशिकाओं, प्रयोगात्मक कृंतकों और मानव स्वास्थ्य पर निम्न और उच्च एलईटी विकिरण, दीर्घकालिक और तीव्र विकिरण उद्भासन, उच्च पृष्ठभूमि विकिरण और रेडियोन्यूक्लाइड उद्भासन के प्रभाव को समझने के लिए विकिरण जीव विज्ञान के अग्रणी क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियाँ।
- प्रीक्लिनिकल और रूपान्तरीय अनुसंधान का उद्देश्य विकिरण क्षति की रोकथाम और शमन, भारी धातुओं के विघटन और सूजन संबंधी विकारों और कैंसर के उपचार के लिए नई दवाओं और चिकित्सा शास्त्र का विकास करना है।
- चिकित्सीय अणुओं के बुनियादी अभिकल्पन (design) के उद्देश्य से, एक्स- किरणन क्रिस्टलिटी, न्यूट्रॉन-प्रकीर्णन, वर्तुल द्विवर्णता और सिंक्रोट्रॉन विकिरण जैसी बायोफिजिकल तकनीकों का उपयोग करके वृहत आणविक संरचनाओं और प्रोटीन-लिगैंड अन्तर्क्रिया का अध्ययन करना।
- जीवाणु, पौधों और जानवरों में प्रतिबल अनुक्रिया के कोशिकीय और आणविक आधार को समझना।
- जीवाणु में डीएनए क्षति और ऑक्सीडेटिव प्रतिबल सहनशीलता के असाधारण प्रतिरोध को, और पौधों और स्तनधारी कोशिकाओं में वैकल्पिक संयोजन के एपिजेनेटिक नियमन को समझना।
- बुनियादी और व्यावहारिक दोनों अनुसंधान में CRISPR-Cas माध्यित जीनोम संपादन प्रौद्योगिकियों का विकास और इसका जीन प्रौद्योगिकियों के विकास और जैव-चिकित्सा अनुप्रयोगों के उत्पादों में प्रवृत्त होना।
- नोस्टॉक द्वारा यूरेनियम पृथक्करण और यूरेनियम खदानों से पृथक बैक्टीरिया पर अध्ययन।
- नैदानिक और चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए नवीन विकिरण भेषजिक (radiopharmaceuticals) का अनुसंधान और विकास।
- विकिरण भेषजिक (radiopharmaceuticals) के रूप में उपयोग के लिए उद्दिष्ट अभिकर्मकों की तैयारी में नैदानिक रेडियोआइसोटोप (99mTc) और चिकित्सीय रेडियोआइसोटोप (177Lu, 153Sm, 166Ho,186/188Re, 109Pd, 90Y, 175Yb, 170Tm) के साथ रेडियो-लेबलिंग में उपयोग के लिए उपयुक्त पूर्ववर्तियों से सब्सट्रेट का संश्लेषण।
- भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) और राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं जैसे राष्ट्रीय भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला, इसरो आदि की आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष स्रोतों की प्रयोगतानुकूल तैयारी।