नाभिकीय रिएक्टरों के आसपास पर्यावरण की निगरानी
अधिक जानकारी के लिए पढ़ें ...सार्वजनिक क्षेत्र में आपातस्थिति
परमाणु ऊर्जा विभाग सार्वजनिक क्षेत्र में मानव निर्मित परमाणु/विकिरण संबंधी आपात स्थिति के संबंध में चिन्हित नोडल एजेंसी है।
विकिरण के संपर्क में आने के बाद विकिरण की आघातों का इलाज किसी भी अस्पताल में किया जा सकता है जहां अच्छी नर्सिंग देखभाल और रक्त/रक्त उत्पादों के रक्ताधान (transfusion of blood/blood products) की सुविधा हो। ऐसे अस्पताल को विकिरण आपात स्थिति के दौरान 'विकिरण आघात उपचार केंद्र' के रूप में नामित किया जाता है। अब तक, भारत में रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (सीबीआरएन) आपदाओं/आपात स्थितियों के लिए विशेष रूप से प्राधिकृत कोई अस्पताल नहीं हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग ने अब तक 580 डॉक्टरों को विकिरण आपातकाल प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया है, जो DAE, नागरिक/राज्य अस्पतालों और रक्षा सेवाओं से हैं, साथ ही 72 नर्सों को भी प्रशिक्षित किया है। इसके अतिरिक्त, DRDO द्वारा रासायनिक और जैविक आपातकालों के लिए समान पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।
इसके अलावा, 479 डॉक्टरों ने देश भर के विभिन्न अस्पतालों से विकिरण आपात स्थितियों के लिए चिकित्सा अधिकारियों के लिए योजना, तत्परता और अनुक्रिया पर प्रशिक्षण कार्यशालाओं में भाग लिया, जो BARC-NPCIL द्वारा 1995 से 2010 तक आयोजित की गई थीं।
परमाणु ऊर्जा विभाग ने अपने आपाती अनुक्रिया केंद्रों और NDRF (NDMA) में निम्नलिखित वस्तुओं को देश के विभिन्न हिस्सों में संग्रहीत किया हैः
आयोडीन प्रोफिलैक्सिस का भंडारः 10 लाख
संरक्षक वस्त्र: 200
श्वसन यंत्रः 200
विकिरण मॉनिटरः 300
पोर्टेबल पर्सनल डिकॉन्टामिनेशन यूनिट (PPDU): 5
इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा विभाग उपरोक्त वस्तुओं को उनके विकिरण संरक्षण/आपातकालीन तैयारी के लिए विभिन्न परमाणु सुविधाओं में रख रहा है।
मोबाइल एंटीना/टॉवर, एच.टी. एच.टी लाइनो का विकिरण प्रभाव
विकिरण आपातकालीन (24x7 संचालित)
आपदा प्रबंधन समूह (सीएमजी),